Mohan Mouri

मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

कविता - गाँव का हूँ , गाँव में हूँ,

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Mohan Mouri   गाँव का हूँ, गाँव मे हूँ... गाँव का हूँ ,गाँव में हूँ। पंखा,कूलर,ए.सी नहीं, नीम,आम,बरगद,पीपल,बबूल के छांव में हूँ। ...
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